joona akhada mob lynhed in palghar
विचार विमर्श

साधू-संतो की हत्या पर सरकार,अवार्ड वापसी गैंग और वामपंथियों की चुप्पी क्यों?

क्या हिन्दू होना ही गुनाह था इन महात्मा संतो का ?

देशभर में कोरोना महामारी की वजह से लोग आहत हैं,इस बीच महाराष्ट्र के पालघर में सैकड़ों लोगों द्वारा जूना अखाड़े के दो संतो सहित ड्राइवर की पुलिस के सामने बड़ी बेरहमी से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई,घटना गुरुवार 16 अप्रैल देर रात की है,जिसके बाद देशभर के संत समाज में गहरा आक्रोश व्याप्त है,सैकड़ों लोगों द्वारा की गई मॉब लिंचिंग का वीडियो वायरल होने के बाद साफ देखा जा सकता है कि किस प्रकार महाराष्ट्र पुलिस के सामने ही दो महात्माओं को उनके ड्राइवर के साथ जाकर दी जाती है पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रहती है या यूं कहें तो पुलिस के संरक्षण में ही हत्या को अंजाम दे दिया जाता है और पुलिस चुपचाप मुंह नीचे करके देखती रहती है,आखिर भीड़तंत्र का ऐसा भयानक रूप आपने इसके पहले कब देखा था?

सेक्युलर व लिबरल मीडिया किसका बचाव कर रही हैं ?

 

palghar case indian express

पालघर में जूना अखाड़े के दोष साधुओं की निर्मम हत्या पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने सख्त कार्रवाई की मांग की है कोरोना वायरस के लॉकडाउन के बीच खून की प्यासी भीड़ के साथ आखिर महाराष्ट्र की पुलिस ने क्यों छोड़ दिया यह सवाल सबके जहन में है। मेनस्ट्रीम मीडिया के तथाकथित पत्रकार या यूं कहें तो समुदाय विशेष के मीडिया पक्षकार अभी भी भीड़तंत्र के इस हत्या कृत्य पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं,उनका चैनल तो अभी भी यही दिखाने में लगा हुआ है कि फरहान अख्तर ने पालघर में हुई हत्या पर अपना रिएक्शन दिया बोले हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया गया,इसलिए यह कहना उचित होगा कि देश में अवार्ड वापसी गैंग लिबरल मीडिया और वामपंथी दल सिर्फ तभी एक्टिव दिखते हैं,जब किसी आतंकवादी को सेना उसके गंतव्य स्थान तक पहुंचा देती है।

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द इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर जिसमें लिखा था की भीड़ ने तीन चोरों की पीट-पीटकर हत्या कर दी आखिर द इंडियन एक्सप्रेस को महात्माओं को चोर बताने का अधिकार किसने दे दी या यूं कहें तो यह लिबरल मीडिया ने एक बार फिर से विशेष समुदाय को बचाने के लिए मैदान में उतर आया है,देश में जब अखलाख जैसे हत्याकांड होते हैं तो तो बड़े-बड़े नेता सहानुभूति के लिए पीड़ित के घर तो चले जाते हैं,लेकिन वही अगर किसी हिंदू के साथ हत्याकांड हो जाए तो लिबरल मीडिया के साथ-साथ तमाम शिखर नेता भी अपने मुंह पर ताला लगा लेते हैं। समाज में आखिर एसिड चुप्पी क्यों है क्या सिर्फ एक वर्ग के लिए ही इंसाफ की गुहार लगाई जा सकती है या भारत में हिंदुओं की हत्या पर बोलने वाला कोई नहीं है? प्राइम टाइम के साथ हिंदू आतंकवाद दिखाने वाले राजा रवीश भी कहीं नजर आ रहे हैं ना ही अवार्ड वापसी गैंग अपना अवार्ड वापस करते हुए नजर आ रही है साथ ही देश के प्रखर नेता कन्हैया कुमार और उनके साथी जो अफजल की फांसी पर शर्मिंदा थे वह भी इस निर्मम हत्या कांड पर शर्मिंदा नहीं नजर आ रहे हैं?

साधू-संतो की हत्या पर सरकार की चुप्पी क्यों ?

जूना अखाड़ा के दो महात्मा कल्पवृक्ष गिरी महाराज(70) और महात्मा सुशील गिरी महाराज(35)अपने ड्राइवर नीलेश(30) के साथ मुंबई मुंबई से गुजरात अपने गुरु भाई को समाधि देने के लिए जा रहे थे,दोनों साथ महाराष्ट्र कांदिवली ईस्ट में रहने वाले थे मुंबई से गुजरात अपने गुरु की अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे,लेकिन इसी बीच महाराष्ट्र पुलिस की नजरों के सामने ही तीनों लोगों की निर्मम हत्या कर दी जाती है,गुरु के देहावसान के बाद अचानक से मिर्जापुर परिवार के कुछ संतो को वहां बुलाया गया था,ताकि महात्मा को समाधि दे जा सके महाराष्ट्र के पालघर थाने के पास रास्ते में ही महाराष्ट्र पुलिस ने पुलिस चौकी के पास उनकी गाड़ी को रोका ड्राइवर के साथ दोनों संतों को गाड़ी से उतरने के लिए कहा गया सड़क पर बीच में ही गाड़ी रोकने के बाद तीनों लोगों को भी सड़क पर ही बैठा दिया गया,कहा जा रहा है कि वहां गांव के करीब 200 के आसपास लोग अचानक इकट्ठा हो गए और ग्रामीणों के ज्यादातर ईसाई और कुछ मुस्लिम समुदाय का होने का दावा भी संत समाज के कुछ लोगों द्वारा किया जा रहा है।

 

लोकल मीडिया रिपोर्टों और स्थानीय सूत्रों के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि संतों के इस यात्रा के दौरान आदिवासी बाहुल्य इस गांव में पुलिस ने गाड़ी को रोका और साधुओं को सड़क पर बैठाकर पूछताछ करने लगी,इसी दौरान गांव में संदिग्ध हालत में अफवाह उड़ा दी गई कि यह सब बच्चा चोर गैंग के लोग हैं इतनी सी बात पर गांव वाले संतों पर लाठी-डंडे और भाले से टूट पड़े इसके बाद तीनों लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई,वही जब धर्म विशेष बाहुल्य लोगों ने इंसानों को मारना शुरू किया तो महाराष्ट्र पुलिस वहां से भाग खड़ी हुई,इससे महाराष्ट्र पुलिस पर और महाराष्ट्र सरकार पर भी सीधा सवाल खड़ा होता है इसके बाद खाना पूर्ति के लिए मरना संसाधनों को अस्पताल ले जाया गया जहां इन्हें डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने बताया कि महाराष्ट्र में कोरोना के नाम पर धर्म विशेष के लोगों द्वारा जूना अखाड़े के दो संतों की हत्या किए जाने की अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद कड़े शब्दों में निंदा करता है,वही अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग भी की है और दोनों संतों की हत्या की जांच के लिए सरकार से मांग करते हुए पत्र भी लिखा है। माहौल को देखते हुए नरेंद्र गिरी नेशन समाज के संन्यासियों को अपील की है कि अभी लॉकडाउन चल रहा है और ऐसे में कोई भी संत महात्मा ब्रह्मलीन होते हैं तो उस इलाके के ग्रामीण और आसपास के साधु-संत ही उनकी समाधि में शामिल हो लॉकडाउन तोड़ने की आवश्यकता अभी किसी भी साधु-संत को नहीं है.